Mahadevi Verma Poetry: टूट गया वह दर्पण निर्मम – 2023
Mahadevi Verma टूट गया वह दर्पण निर्मम उसमें हँस दी मेरी छाया! मुझमें रो दी ममता माया, अश्रु-हास ने विश्व सजाया, रहे खेलते आँखमिचौनी प्रिय! जिसके परदे में ‘मैं’ ‘तुम’! टूट गया वह दर्पण निर्मम! अपने दो आकार बनाने; दोनों का अभिसार दिखाने; भूलों का संसार बसाने, जो झिलमिल-झिलमिल-सा तुमने हँस-हँस दे डाला था निरुपम! टूट गया वह दर्पण निर्मम! जो झिलमिल-झिलमिल-सा तुमने हँस-हँस …
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